काश ऐसी बारिश आये जिसमें
अहम् डूब जाए
मतभेद के किले ढह जाए
घमंड चूर चूर हो जाए
ग़ुस्से के पहाड़ पिघल जाए
नफरत हमेशा के लिए दफ़न हो जाये
और हम सब
*"मैं"* से *"हम"* हो जाए
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काश ऐसी बारिश आये जिसमें
अहम् डूब जाए
मतभेद के किले ढह जाए
घमंड चूर चूर हो जाए
ग़ुस्से के पहाड़ पिघल जाए
नफरत हमेशा के लिए दफ़न हो जाये
और हम सब
*"मैं"* से *"हम"* हो जाए