वो जो सबके सामने कभी जिक्र नहीं करता, अन्दर ही अन्दर बहुत फ़िक्र करता है।

 
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वो जो सबके सामने कभी जिक्र नहीं करता, अन्दर ही अन्दर बहुत फ़िक्र करता है।