आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की, लम्हें तो अपने आप ही मिल जाते हैं।

 
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आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की, लम्हें तो अपने आप ही मिल जाते हैं।